सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला – अब कब्जे वाला ही बनेगा प्रॉपर्टी का मालिक Land Occupation

By Prerna Gupta

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Land Occupation

Land Occupation – अगर आपके पास कोई मकान या ज़मीन है और आपने उसे किसी को किराए पर दे रखा है, तो ये खबर आपके लिए काफी अहम है। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जिससे प्रॉपर्टी मालिकों की नींद उड़ सकती है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी ज़मीन या घर पर 12 साल तक लगातार कब्जा करके बैठा है और असली मालिक ने इस दौरान कोई आपत्ति नहीं जताई, तो कब्जाधारी को उस प्रॉपर्टी का मालिक माना जा सकता है।

यह फैसला बहुत खास है क्योंकि इससे पहले 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर बिल्कुल अलग राय दी थी। लेकिन अब पुराना फैसला पलट दिया गया है।

किराए पर लगाई प्रॉपर्टी पर ध्यान देना ज़रूरी

भारत में बहुत से लोग प्रॉपर्टी खरीदकर उसे किराए पर लगाकर इनकम करते हैं। मकान, दुकान या जमीन को किराए पर लगाकर हर महीने अच्छा खासा पैसा कमाया जा सकता है। लेकिन कई बार प्रॉपर्टी मालिक खुद देश में नहीं रहते या फिर रहते भी हैं तो इतनी व्यस्तता होती है कि किराएदार पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते। बस हर महीने बैंक में किराया आ जाए, यही काफी समझते हैं।

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यहीं से शुरू होती है समस्या।

अगर आपने अपनी ज़मीन या मकान पर लगातार 12 साल तक किसी को कब्जा करने दिया, बिना कोई कानूनी कार्रवाई किए या आपत्ति जताए, तो अब कोर्ट के नए फैसले के मुताबिक वो व्यक्ति उस प्रॉपर्टी का मालिक बन सकता है।

क्या है ‘Adverse Possession’ यानी प्रतिकूल कब्जा?

ये कानून ब्रिटिश काल से चला आ रहा है, जिसे अंग्रेजी में Adverse Possession कहते हैं। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति लगातार 12 साल तक किसी ज़मीन या मकान पर कब्जा जमाए बैठा है और असली मालिक ने इस दौरान कोई दावा नहीं किया, तो वह कब्जाधारी उस प्रॉपर्टी पर अधिकार जता सकता है।

अब सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को मान्यता देते हुए कहा है कि यह कब्जाधारी व्यक्ति का हक बन सकता है – लेकिन शर्त ये है कि ये कब्जा लगातार और बिना रुकावट के 12 साल का होना चाहिए और मालिक ने इस दौरान कोई कानूनी कदम नहीं उठाया हो।

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2014 में क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?

साल 2014 में कोर्ट ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति केवल कब्जा करने के आधार पर ज़मीन का मालिक नहीं बन सकता। बल्कि असली मालिक चाहे तो कोर्ट की मदद से ज़मीन वापस पा सकता है।

लेकिन अब जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने इस फैसले को पलटते हुए कहा है कि अगर 12 साल तक लगातार कोई ज़मीन पर कब्जा किए बैठा है और असली मालिक चुप रहा, तो अब वो कब्जा करने वाला व्यक्ति ही मालिक माना जाएगा।

यह फैसला किन प्रॉपर्टियों पर लागू होगा?

यह फैसला सिर्फ निजी ज़मीनों और प्रॉपर्टियों पर लागू होगा। अगर किसी ने सरकारी ज़मीन पर कब्जा किया है, तो उस पर ये कानून लागू नहीं होगा। सरकारी संपत्ति के नियम अलग होते हैं और उन पर विशेष कानून चलते हैं।

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मालिकों के लिए बड़ा सबक

अब अगर आपकी कोई ज़मीन या मकान है और आपने उसे किराए पर दिया हुआ है या किसी ने जबरन कब्जा किया है, तो आपको उस पर लगातार नजर बनाए रखनी होगी। अगर आप सालों तक ध्यान नहीं देंगे, और कोई कब्जा जमाकर बैठ जाएगा, तो कोर्ट भी उस व्यक्ति के पक्ष में फैसला दे सकता है।

इसलिए:

  • किराए पर दिए गए मकान का नियमित रूप से निरीक्षण करें
  • किराए का समझौता हर साल रिन्यू करें
  • कोई भी प्रॉपर्टी खाली छोड़ने से बचें
  • अगर कब्जा हो गया है, तो 12 साल से पहले कानूनी कार्रवाई करें

कब और कैसे दावा किया जा सकता है?

अगर आपकी ज़मीन पर किसी ने कब्जा किया है और आपको इसका पता चलता है, तो 12 साल के भीतर लिमिटेशन एक्ट 1963 के तहत आप मुकदमा कर सकते हैं और ज़मीन वापस पा सकते हैं। लेकिन अगर 12 साल निकल गए और आपने कुछ नहीं किया, तो फिर अदालत भी आपकी मदद नहीं कर पाएगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि अगर कब्जाधारी को जबरन निकाला गया हो, तो वो भी 12 साल के अंदर केस कर सकता है और अदालत में अपना हक मांग सकता है।

इस फैसले के बाद प्रॉपर्टी मालिकों को अब और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। अगर आपकी ज़मीन या मकान पर कोई कब्जा किए बैठा है, तो उसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। जरूरी है कि आप समय रहते कानूनी कदम उठाएं, वरना आपकी अपनी ज़मीन किसी और की हो सकती है।

अब वो वक्त गया जब लोग सोचते थे कि प्रॉपर्टी तो हमारी है ही, कोई कुछ नहीं कर सकता। कोर्ट का नया फैसला बताता है कि अगर आप लापरवाह हैं, तो कानून भी आपका साथ नहीं देगा।

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