Wife Property Rights – भारत में शादी के बाद महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को लेकर हमेशा बहस होती रही है। कई बार महिलाएं शादी के बाद पूरी ज़िंदगी अपने पति और परिवार के लिए समर्पित कर देती हैं, लेकिन जब तलाक या अलगाव की नौबत आती है, तो उन्हें किसी तरह की आर्थिक सुरक्षा नहीं मिलती। अब सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो महिलाओं के लिए एक मजबूत सहारा बन सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 मई 2025 को एक मामले में साफ-साफ कहा कि पत्नी को भी पति की संपत्ति में अधिकार मिलना चाहिए, खासतौर पर जब वह आर्थिक रूप से निर्भर हो और शादी के बाद का जीवन स्तर बनाए रखने की जरूरत हो। कोर्ट ने कहा कि एक महिला को शादी के समय जैसी जिंदगी मिली, वो तलाक के बाद भी मिलनी चाहिए।
क्या कहा कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में आदेश दिया कि पति अपनी पत्नी को हर महीने 50 हजार रुपये भरण-पोषण के तौर पर दे और साथ ही जिस घर में वे साथ रहते थे, उसकी रजिस्ट्री पत्नी के नाम कर दे। इतना ही नहीं, हर दो साल में इस रकम में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी भी की जाएगी। अगर घर पर लोन है, तो वो भी पति को चुकाना होगा।
इस फैसले के बाद अब महिलाओं को सिर्फ तलाक के बाद भरण-पोषण ही नहीं, बल्कि घर का मालिकाना हक और पति की संपत्ति में हिस्सा भी मिल सकता है। यह फैसला न सिर्फ महिलाओं को कानूनी सुरक्षा देता है, बल्कि समाज में उनकी स्थिति को और मजबूत करता है।
किन हालात में मिलेगा हक?
- अगर महिला तलाकशुदा है और आर्थिक रूप से निर्भर है, तो कोर्ट के आदेश से उसे संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है।
- अगर शादी के दौरान घर पति ने खरीदा है और महिला ने उसमें योगदान दिया है, तो वो भी हकदार मानी जाएगी।
- अगर घर पति और पत्नी के नाम पर है (संयुक्त संपत्ति), तो कोर्ट दोनों के हिस्से तय करेगा।
- स्ट्रीधन यानी शादी के समय मिले गहने, पैसे, उपहार आदि पर महिला का पूरा अधिकार रहेगा।
- अगर पति की मृत्यु हो जाती है, तो पत्नी को उसकी संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलेगा, चाहे वो खुद की खरीदी संपत्ति हो या खानदानी।
क्या खानदानी संपत्ति में भी पत्नी को हक मिलेगा?
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया कि पत्नी अपने पति की खानदानी संपत्ति में सीधे तौर पर तभी दावा कर सकती है, जब पति की मृत्यु हो या खास परिस्थिति में कोर्ट आदेश दे। सामान्यतः पति की जीवित रहते हुए जो संपत्ति है, उसमें पत्नी का सीधा हक नहीं होता, लेकिन अलगाव या तलाक के बाद परिस्थिति के हिसाब से कोर्ट उसे हिस्सा दे सकता है।
जरूरी दस्तावेज क्या होंगे?
अगर आप अपने हक के लिए कोर्ट जाना चाहती हैं, तो कुछ जरूरी दस्तावेज संभाल कर रखें:
- शादी का प्रमाण पत्र
- पति की आय और संपत्ति से जुड़ी जानकारी
- घर की रजिस्ट्री या टाइटल डीड
- स्ट्रीधन से जुड़ी रसीदें या सबूत
- बैंक स्टेटमेंट और आय प्रमाण पत्र
- कोर्ट का आदेश या डिक्री
- बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र (अगर कोई है)
लिव-इन पार्टनर को भी मिलेगा हक?
अगर कोई महिला लंबे समय से किसी के साथ लिव-इन रिलेशन में रह रही है, तो कोर्ट उसे भी पत्नी की तरह संपत्ति का अधिकार दे सकता है। कई मामलों में ऐसा हो चुका है कि लिव-इन पार्टनर को भी वारिस माना गया है, खासकर जब दोनों एक साथ परिवार की तरह रह रहे हों।
दूसरी पत्नी और बच्चों का हक
अगर किसी व्यक्ति की दूसरी शादी कानूनन वैध है, तो उसकी दूसरी पत्नी और बच्चों को भी उसकी संपत्ति में कानूनी अधिकार मिलेगा। कोर्ट हर मामले में सबूतों और दस्तावेजों के आधार पर फैसला करता है।
ये फैसला महिलाओं के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। अब वे सिर्फ आर्थिक सहारे की मोहताज नहीं रहेंगी, बल्कि घर और संपत्ति में उनका हक होगा। यह एक सकारात्मक कदम है, जो महिलाओं को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि समाज में उनके लिए इज्जत और सुरक्षा का माहौल भी तैयार करेगा।
महिलाओं को अब अपने अधिकारों के लिए जागरूक रहना होगा और जरूरी दस्तावेज समय पर तैयार रखने होंगे। अगर किसी तरह का विवाद हो, तो तुरंत वकील से संपर्क कर उचित सलाह लें।